ना मुहबत ना दोस्ती के लिए
वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए
दिल को अपने सजा ना दे यू ह़ी
इस ज़माने की बेरुखी के लिए
कल जवानी का हश्र क्या होगा
सोच ले आज दो घडी के लिए
हर कोई प्यार ढूँढता है यहाँ
अपनी तनहा सी ज़िन्दगी के लिए
वक़्त के साथ साथ चलता रहे
यही है बेहतर आदमी के लिए
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